मैं हवा हूँ
मैं हवा हूँ
मैं हवा हूँ। अदृश्य, अजेय, लेकिन हर जगह उपस्थित। मैं सृष्टि का प्राण और जीवन का आधार हूँ। मेरे बिना यह धरती मृतप्राय हो जाएगी। हर प्राणी मेरी उपस्थिति में साँस लेता है, हर पेड़-पौधा मेरी मदद से अपना जीवन चक्र पूरा करता है। मैं स्वतंत्र हूँ, सीमाओं से परे, और हर जीव की सेवा करती हूँ। आज मैं अपनी आत्मकथा आपके साथ बाँटना चाहती हूँ।
जब यह धरती बनी, तब मैं भी अस्तित्व में आई। सूरज की गर्मी से प्रेरित होकर, मैं धरती के चारों ओर घूमने लगी। मैंने जल और वायु का चक्र बनाया, जिससे इस ग्रह पर जीवन संभव हो सका। मैं सागर की लहरों को चलाती हूँ, बादलों को बहाती हूँ, और जंगलों में हरियाली का संदेश देती हूँ। मैंने सदैव संतुलन बनाए रखा, ताकि जीवन का चक्र सुचारु रूप से चलता रहे।
मेरी उपस्थिति हर जगह है। पर्वतों की चोटियों से लेकर गहरे समुद्र तक, मैं हर जगह बहती हूँ। मैं पक्षियों को उड़ान देती हूँ, पतंगों को आसमान में उठाती हूँ, और पवनचक्कियों को घुमाती हूँ। मैंने संगीत भी दिया है—जब मैं पेड़ों की पत्तियों को छूती हूँ, तो एक मधुर धुन बनती है। मेरे बिना जीवन अधूरा है।
मैंने हमेशा मानव की सहायता की। मैंने उसे साँस लेने के लिए ऑक्सीजन दी, उसके फसलों को परागण के लिए मदद की, और उसकी नावों को समुद्र में आगे बढ़ाया। मेरी ऊर्जा ने उसे पवनचक्कियों और पवन ऊर्जा के माध्यम से बिजली दी। मैंने हमेशा मानव का साथ दिया, चाहे वह कितना भी आगे बढ़ा।
लेकिन समय के साथ, इंसान ने मेरी अहमियत को भुला दिया। उसने अपने स्वार्थ के कारण मुझे प्रदूषित करना शुरू कर दिया। फैक्ट्रियों का धुआँ, गाड़ियों से निकलने वाली जहरीली गैसें, और प्लास्टिक जलाने से निकलने वाले विषैले तत्वों ने मुझे दूषित कर दिया। जो हवा कभी शुद्ध और ताजी हुआ करती थी, अब उसमें सांस लेना भी कठिन हो गया है।
शहरों में मेरा दम घुटता है। वहाँ हर जगह धुआँ, धूल, और जहरीली गैसें भरी हुई हैं। इंसान ने पेड़ों को काटकर और जंगलों को उजाड़कर मुझे और भी कमजोर बना दिया है। मैंने देखा है कि कैसे मेरी अशुद्धि के कारण बीमारियाँ बढ़ रही हैं। लोग साँस की समस्याओं से जूझ रहे हैं, और धरती पर ग्लोबल वॉर्मिंग का संकट गहरा रहा है।
मैं दुखी हूँ, लेकिन निराश नहीं। मैं जानती हूँ कि इंसान में सुधार की क्षमता है। कुछ लोग मेरी स्वच्छता के लिए काम कर रहे हैं। वे अधिक पेड़ लगा रहे हैं, हरित ऊर्जा का उपयोग कर रहे हैं, और प्रदूषण को कम करने के उपाय अपना रहे हैं। मैं उनके प्रयासों को देखकर खुश होती हूँ।
मैं आप सबसे यही कहना चाहती हूँ कि मेरी रक्षा करें। प्रदूषण को रोकें, अधिक से अधिक पेड़ लगाएँ, और स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग करें। याद रखें, मैं आपके जीवन का आधार हूँ। यदि मैं शुद्ध रहूँगी, तो आपका जीवन भी खुशहाल रहेगा।
मैं हवा हूँ। मैं जीवन हूँ। मुझे बचाएँ, क्योंकि मेरे बिना यह धरती एक निर्जी
व ग्रह बन जाएगी।
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