फिल्म साजन चले ससुराल – पूरी कहानी

 

फिल्म साजन चले ससुराल
"साजन चले ससुराल" – पूरी कहानी 

"साजन चले ससुराल" 1996 में रिलीज़ हुई एक लोकप्रिय बॉलीवुड रोमांटिक कॉमेडी फिल्म है, जिसका निर्देशन डेविड धवन ने किया। इस फिल्म में गोविंदा और करिश्मा कपूर मुख्य भूमिका में हैं। फिल्म की कहानी हास्य, रोमांस और पारिवारिक रिश्तों की जटिलताओं पर आधारित है, जिसमें एक नवविवाहित युवक को अपनी पत्नी और ससुरालवालों के बीच संतुलन बनाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। फिल्म दर्शाती है कि प्यार, समझदारी, और ईमानदारी से कैसे समस्याओं को हल किया जा सकता है, और कैसे झूठ और मतभेदों से रिश्तों में दूरियाँ आ सकती हैं।


कहानी की शुरुआत:

कहानी की शुरुआत होती है साजन (गोविंदा) से, जो एक छोटे से शहर में रहने वाला एक खुशमिजाज और मस्तमौला लड़का है। वह एक गायक है, जो संगीत के क्षेत्र में अपना नाम बनाना चाहता है। उसकी ज़िंदगी में सब कुछ सही चलता है, लेकिन जब साजन की शादी की बात आती है, तो उसकी ज़िंदगी में बदलाव आ जाता है। साजन के माता-पिता उसे शादी के लिए दबाव डालते हैं और चाहते हैं कि वह एक अच्छे परिवार से शादी करे।

साजन की मुलाकात होती है प्रिय (करिश्मा कपूर) से, जो एक सुंदर, समझदार, और होशियार लड़की है। प्रिय भी एक संगीतकार है, जो गायन के क्षेत्र में अपने करियर को बढ़ाना चाहती है। दोनों एक संगीत प्रतियोगिता में मिलते हैं और धीरे-धीरे एक-दूसरे के प्रति आकर्षित हो जाते हैं। प्रिय के परिवार में भी साजन को काफी प्यार मिलता है, और जल्द ही वे दोनों शादी करने का फैसला करते हैं। प्रिय और साजन की शादी होती है, लेकिन इसके बाद साजन की ज़िंदगी में कई उलझनें आ जाती हैं।


प्रिय से साजन का प्यार और शादी:

प्रिय और साजन की शादी का निर्णय जल्दी ही ले लिया जाता है, क्योंकि दोनों एक-दूसरे से गहरे प्यार करते हैं। प्रिय का परिवार और साजन का परिवार दोनों ही उनकी शादी को लेकर खुश होते हैं। साजन और प्रिय की शादी धूमधाम से होती है। फिल्म की शुरुआत में ही रोमांस और खुशियों का माहौल बनता है। दोनों का जीवन एक आदर्श प्रेमी जोड़े जैसा दिखता है। लेकिन शादी के बाद की ज़िंदगी अलग होती है।

प्रिय के परिवारवाले साजन से उम्मीदें रखने लगते हैं, और प्रिय चाहती है कि साजन उसके परिवार के साथ समय बिताए। दूसरी ओर, साजन को अपने पुराने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताने की आदत होती है। साजन अपने माता-पिता से बहुत प्यार करता है और उन्हें छोड़कर किसी और घर में रहने की सोच नहीं सकता। यह दोनों परिवारों के बीच पहले से मौजूद असंतुलन को और बढ़ा देता है।


सास-ससुराल वालों के बीच संतुलन बनाना:

शादी के बाद, साजन को यह एहसास होता है कि उसे प्रिय के परिवार और अपने परिवार के बीच संतुलन बनाना बहुत कठिन होगा। प्रिय के परिवार वाले चाहते हैं कि साजन हमेशा उनके साथ रहे, क्योंकि प्रिय के पिता उसे अपनी संगीत की दुनिया में शामिल करना चाहते हैं। प्रिय की माँ भी साजन से उम्मीद करती हैं कि वह किचन में मदद करे और उनका आदर्श पति बने। प्रिय को भी यह उम्मीद होती है कि साजन अपने माता-पिता को कम समय दे और उसे और उसके परिवार को ज्यादा वक्त दे।

साजन की मुश्किल तब बढ़ जाती है जब उसे दोनों परिवारों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करनी होती है। एक ओर प्रिय का परिवार है, जो उसे अपने परिवार का हिस्सा बनाना चाहता है, जबकि दूसरी ओर साजन के माता-पिता हैं, जो चाहते हैं कि उनका बेटा उनके पास ज्यादा वक्त बिताए।


साजन का झूठ और जटिलताएँ:

चीजें तब और उलझ जाती हैं जब साजन को यह समझ में आता है कि उसे दोनों घरों में समय बिताना पड़ता है। साजन प्रिय और उसके परिवार के साथ ज्यादा वक्त बिताने की कोशिश करता है, लेकिन वह अपने माता-पिता से भी दूर नहीं जा सकता। इससे साजन को झूठ बोलने की आदत लग जाती है। वह एक समय में एक ही जगह पर दोनों परिवारों से मिलता है, और हर बार झूठ बोलता है कि वह दूसरे घर में नहीं गया।

साजन के झूठ धीरे-धीरे पकड़ में आते जाते हैं, और प्रिय को लगता है कि साजन उसे धोखा दे रहा है। प्रिय को यह भी समझ में आता है कि साजन हमेशा अपने परिवार के साथ समय बिताने का बहाना बनाता है। प्रिय साजन से नाराज हो जाती है और उसे छोड़ने का मन बना लेती है।


प्रिय की नाराज़गी और साजन का सुधार:

प्रिय की नाराज़गी साजन के लिए बहुत कठिन हो जाती है। प्रिय को यह लगता है कि साजन अब उसके परिवार के बारे में सोचने के बजाय सिर्फ अपने माता-पिता और पुराने परिवार के बारे में सोचता है। प्रिय और साजन के रिश्ते में दरार आ जाती है, और साजन को एहसास होता है कि उसे अपनी गलती समझनी होगी।

साजन प्रिय से खुलकर बात करता है और उसे बताता है कि उसने जानबूझकर गलत नहीं किया था। वह केवल परिस्थितियों के कारण झूठ बोलता रहा। साजन प्रिय से माफी मांगता है और उससे अपनी स्थिति को समझाने की कोशिश करता है। प्रिय भी साजन के साथ अपनी भावनाओं को साझा करती है, और दोनों अपने रिश्ते को फिर से मजबूत बनाने का निर्णय लेते हैं।


समझदारी और संतुलन:

साजन और प्रिय की बातचीत के बाद, साजन को यह समझ में आता है कि वह अपने परिवारों के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए ईमानदार होना चाहिए। साजन अपने माता-पिता और प्रिय के परिवार से खुलकर बात करता है और उन्हें यह बताता है कि वह दोनों के बीच संतुलन बनाना चाहता है।

प्रिय भी यह समझ जाती है कि साजन को अपनी जिम्मेदारी निभानी है और उसे दोनों परिवारों के बीच संतुलन बनाना होगा। प्रिय और साजन अपने रिश्ते में खुलेपन और ईमानदारी को बढ़ाते हैं और एक-दूसरे को समझने की कोशिश करते हैं।


क्लाइमेक्स और समाधान:

फिल्म का क्लाइमेक्स तब आता है जब साजन और प्रिय दोनों परिवारों को आमंत्रित करते हैं। साजन और प्रिय के परिवार एक दूसरे से मिलते हैं और उनके बीच सामंजस्य स्थापित होता है। साजन और प्रिय दोनों अपने रिश्ते को मजबूत करते हैं और दोनों परिवारों के बीच संतुलन बनाते हैं। साजन और प्रिय के रिश्ते में प्यार और समझ बढ़ती है।


फिल्म का निष्कर्ष:

फिल्म का समापन खुशहाल होता है। साजन और प्रिय एक-दूसरे के साथ खुश रहते हैं और दोनों परिवार भी एक साथ मिलकर प्यार और समझ के साथ जीवन जीने का संकल्प लेते हैं। "साजन चले ससुराल" एक हल्की-फुल्की रोमांटिक कॉमेडी है, जो रिश्तों और परिवार के बीच संतुलन बनाए रखने की अहमियत को दर्शाती है। फिल्म यह संदेश देती है कि रिश्तों में ईमानदारी, समझदारी और संवाद सबसे महत्वपूर्ण होते हैं।


यह विस्तृत कहानी फिल्म "साजन चले ससुराल" की है, जो दर्शाती है कि कैसे जीवन के छोटे-छोटे झूठ और गलतफहमियाँ रिश्तों में बड़ी समस्याएँ उत्पन्न कर सकती हैं, लेकिन जब लोग एक-दूसरे से प्यार करते हैं और समझदारी से समस्याओं का समाधान करते हैं, तो कोई भी समस्या बड़ी नहीं होती।

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