मैं पेड़ हूँ - True Story

 


मैं पेड़ हूँ


मैं पेड़ हूँ। धरती का श्रंगार, जीवन का आधार, और प्रकृति का वरदान। मैं वही हूँ जिसने इस धरती को हरा-भरा बनाया, जीव-जंतुओं को आश्रय दिया और हवा में प्राणवायु भर दी। मैं सृष्टि के आरंभ से यहाँ हूँ, आपकी सेवा में। मेरी शाखाएँ आसमान को छूने की कोशिश करती हैं, लेकिन मेरी जड़ें हमेशा धरती से जुड़ी रहती हैं। आज मैं अपनी आत्मकथा आपके साथ साझा करना चाहता हूँ।


जब इस धरती पर जीवन का आरंभ हुआ, तब मैं भी उगा। मेरी पत्तियों ने सूरज की रोशनी को अपने भीतर समेटकर ऊर्जा बनाई। मेरी छाँव में जीव-जंतु सुस्ताने लगे, और मेरी टहनियों पर पक्षियों ने घोंसले बनाए। मैंने धरती की मिट्टी को समृद्ध बनाया और नदियों को शुद्ध रखा। मेरी जड़ों ने धरती को बाँधकर बाढ़ से बचाया। मैं प्रकृति का एक अभिन्न हिस्सा हूँ, जो जीवन के हर चक्र में शामिल है।


मेरी पत्तियाँ, फल, फूल और लकड़ी सबके लिए उपयोगी हैं। मैंने फलों से भूख मिटाई, अपनी लकड़ी से घर बनाए, और अपने पत्तों से दवाइयाँ दीं। मेरी छाल और जड़ें भी कई बीमारियों का इलाज करती हैं। मेरी शाखाएँ झूलों का सहारा बनीं, और मेरी छाँव ने पथिकों को आराम दिया।


लेकिन मेरा सबसे बड़ा योगदान है प्राणवायु यानी ऑक्सीजन। मैं कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करता हूँ और बदले में वह ऑक्सीजन देता हूँ, जिससे हर जीव साँस लेता है। बिना मेरे, हवा में घुटन होगी, जीवन असंभव होगा।


मैंने मनुष्य को अपनी हर चीज दी, लेकिन बदले में उसने मेरे साथ कैसा व्यवहार किया? पहले तो उसने मुझे प्यार किया, मेरी पूजा की, मुझे देवता का दर्जा दिया। लेकिन समय के साथ, उसका लालच बढ़ता गया। उसने जंगलों को काटना शुरू किया, मेरे साथियों को जमीन पर गिरा दिया, और मेरी जगह कंक्रीट के जंगल खड़े कर दिए।


मैंने देखा कि कैसे मेरे साथियों को काटा गया। उनकी हरियाली को मशीनों ने मिटा दिया। उनके स्थान पर बड़े-बड़े भवन खड़े हो गए, सड़कों का निर्माण हुआ। मेरी छाया में पले-बढ़े इंसान ही मेरे सबसे बड़े दुश्मन बन गए।


आज मैं दर्द में हूँ। मेरी संख्या तेजी से घट रही है। वन कट रहे हैं, जिससे धरती का तापमान बढ़ रहा है। ग्लोबल वॉर्मिंग और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएँ मेरे कटने का परिणाम हैं। जानवर, जो मेरी छाँव में रहते थे, अब बेघर हो रहे हैं। बारिश कम हो रही है, मिट्टी बंजर हो रही है।


लेकिन मैं फिर भी खड़ा हूँ, क्योंकि मेरी ममता असीम है। मैं हर दिन सूरज की रोशनी को आत्मसात करता हूँ और धरती को जीवन देने का प्रयास करता हूँ। मैं नहीं चाहता कि मेरी अनुपस्थिति से यह धरती उजाड़ बन जाए।


आज भी कुछ लोग हैं, जो मेरे महत्व को समझते हैं। वे पेड़ लगा रहे हैं, जंगलों को बचाने का प्रयास कर रहे हैं, और दूसरों को मेरी रक्षा के लिए प्रेरित कर रहे हैं। यह देखकर मुझे खुशी होती है कि अभी भी उम्मीद बाकी है।


मैं आप सबसे यही निवेदन करता हूँ कि मेरी रक्षा करें। मुझे काटने से पहले एक बार सोचें। यदि आप मेरी जगह एक नया पेड़ लगाएंगे, तो मैं खुश हो जाऊँगा। यदि आप मेरी छाँव का आनंद लेंगे, तो मुझे गर्व होगा। यदि आप मुझे बचाएंगे, तो मैं हमेशा आपकी सेवा में खड़ा रहूँगा।


मैं पेड़ हूँ। मैं जीवन हूँ। मुझे बचाएँ, क्योंकि मेरे बिना यह धरती नहीं, सिर्फ 

एक निर्जीव ग्रह होगी।


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